इस २६ जनवरी को हम सब ने बहुत ही धूम-धाम से हमारे देश का उनहत्तरवाँ गणतंत्र दिवस मनाया। प्रातः काल से ही मैं टेलीविज़न सेट के सामने बैठ कर पुरे परेड को अच्छी तरह से देखा। अच्छा लगा। लेकिन शाम होते-होते मन व्यथित हो उठा। पता है क्यों! क्योंकि हमारे ही राज्य के काशगंज जिले में एक लड़के को केवल इसलिए मार दिया गया क्योंकि कुछ समूदाय को उसका झंडा लहराना पसंद नहीं आया। और यूं कहें की उसने भारतीय तिरंगे को कुछ देश द्रोहियों के मध्य ले जाने का साहस किया।
Sunday, January 28, 2018
Sunday, January 14, 2018
कितने स्मार्ट हैं हम
आज smart phones का समय है। हर किसी के पास, यहाँ तक की मेरे ऑफिस के peon जिसकी मासिक वेतन केवल कुछ रूपये है, वो भी branded company का स्मार्ट फ़ोन रखा है। ये अच्छी बात है, हमारा देश आगे बढ़ रहा है, और यह सुचना क्रांति का युग है। लेकिन क्या हम भी स्मार्ट हैं, स्मार्ट फ़ोन्स को उपयोग करने में ? कुछ मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर बाकीं लोगों का जबाब होगा - नहीं।
Sunday, January 07, 2018
मेरे विचार
मैं एक सामान्य नागरिक हूँ। एक साधारण सा जीवन जी रहा हूँ। पर मेरे विचार साधारण नहीं हैं, उसमें असाधारन विलक्षणता है। आज का युग भी विचारों का है। अब युद्ध सिर्फ तलवारों से नहीं लड़े जाते हैं, उसके पीछे विचारों का बहुत बड़ा योगदान रहता है। उदाहरण के लिए ISIS को ही ले लो....कितना प्रचार प्रसार इस आंतकी संगठन ने सोशल मीडिया के द्वारा करा था और कर रहा भी है।
सोशल नेटवर्किंग साइट्स अब विचारों के आदान-प्रदान के सबसे बड़े माध्यम बन चुके है और इसी के द्वारा राजनैतिक से लेकर अन्य सभी संगठन अपने-अपने हितों को साधने में लगे रहते हैं।
एक विशेष तरह के प्रोपेगंडा को फैला कर वामपंथी से लेकर समाज विरोधी तत्व सोशल नेटवर्किंग साइट्स को लगातार एक हथियार की तरह प्रयोग करने लगे हैं। जहाँ तक सोशल मीडिया का प्रश्न है तो इसकी पहुँच अब भारत के सुदूर गावों तक हो चूका है। अब स्मार्ट फ़ोन को खरीदने में ग्रामीण लोग भी आगे निकल चुके हैं। ये अच्छा भी है, ये होना चाहिए।