Sunday, January 28, 2018

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देश की दिशा और दशा

इस २६ जनवरी को हम सब ने बहुत ही धूम-धाम से हमारे देश का उनहत्तरवाँ गणतंत्र दिवस मनाया।  प्रातः काल से ही मैं टेलीविज़न सेट के सामने बैठ कर पुरे परेड को अच्छी तरह से देखा।  अच्छा लगा।  लेकिन शाम होते-होते मन व्यथित हो उठा।  पता है क्यों! क्योंकि हमारे ही राज्य के काशगंज जिले में  एक लड़के को केवल इसलिए मार दिया गया क्योंकि कुछ समूदाय को उसका झंडा लहराना पसंद नहीं आया।  और यूं  कहें  की उसने भारतीय तिरंगे को कुछ देश द्रोहियों  के मध्य ले जाने का साहस किया।

आश्चर्य तो तब हुआ जब कोई न्यूज़ चैनल्स इस समाचार को हेडलाइंस में नहीं दिखा रहे हैं। मुँझे  अच्छी तरह से याद है जब इखलाख हत्याकांड हुआ था तो यही मीडिया उस समाचार को महीनों तक प्राइम टाइम में  दिखा रहे थे।  जब एक अलग समुदाय के युवक की हत्या ट्रैन में हो गयी थी तो उसे धार्मिक रंग देकर पुरे सप्ताह न्यूज़ चैनल्स पर दिखाया जा रहा था।  पर काशगंज में हुई इस हत्या को मामूली बताया जा रहा है।  कुछ चैनल तो ये भी कह रहे हैं की उस युवक को तिरंगे को फहराने से प्रशाशन को रोकनी चाहिए थी।  क्यों भाई क्या हम अभी भी गुलाम हैं जो अपने ही देश में  अपने ही देश का झंडा नहीं लहरा सकते हैं।  कैसी विडंबना है की आप भारत में पाकिस्तान का झंडा तो लहरा सकते हो (जैसा की जम्मू एंड कश्मीर में आये दिन होता रहता है ), लेकिन अपने देश में अपना ही देश का झंडा लहराने पर दंगे हो जाते हैं।  
ये कब तक चलेगा ये तो नहीं पता लेकिन यदि अभी इसपर नियंत्रण नहीं पाया गया तो ये हमारे देश के भविष्य पर एक बहुत ही बड़ा कुठाराघात होगा।  कब तक हम यह कहकर अपना पल्ला झारते रहेंगे कि  ये कुछ असामाजिक शरारती तत्व की करतूत है।  क्या हम सब भूल गए की 
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।।
धर्म की रक्षा करने वाले की धर्म रक्षा करता है। अर्थात हमें अपने राष्ट्रीय धर्म की रक्षा करनी होगी तभी हम अपनी रक्षा कर सकते हैं। हमें अपने सनातन धर्म की रक्षा करनी होगी।
आज आवश्यकता है एक ऐसे तानाशाह की जो देश के गद्दारों, देश द्रोहियों के लिए कोई रियायत नहीं दे, देश धर्म को, राष्ट्र धर्म को सभी धर्मों के ऊपर रखे। जो एक ऐसे समाज की स्थापना करे जिसमें देश द्रोह की सजा कठोरतम हो। आज आवश्यकता है ऐसे समाज की जो नैतिक मूल्यों को, अपने देश के प्रति जिम्मेदारीयों को अपने निजी स्वार्थ से ऊपर रखे।
जहाँ तक मैं समझता हूँ, आज राजनीती का स्तर इतना गिर गया है कि, राजनीकित मूल्यों का इतना ह्रास हो चूका है कि राजनितिगों से कोई उम्मीद रखना मूर्खता होगी। हमें यह प्रयास स्वयं ही करना होगा, हम सुधरेंगे जग सुधरेगा, की निति पर चलते हुए हमें इस समाज को सुधारना होगा।
सब कुछ बुरा ही हो रहा है ऐसा भी नहीं है। आज प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मन का बात कार्यक्रम भी सुना। सुनकर अच्छा लगा की अब पदम् श्री का अवार्ड उन्हें मिल रहा है जो सच में उस गौरव के हकदार हैं। जिन्होंने देश के लिए सचमुच कुछ करा है। ये अच्छा है, नहीं तो पहले जो फेमस हैं, जो सरकारी अफसरों के वफादार हैं उन्हें दे दिया जाता था।
दूसरी अच्छी बात कश्मीर से आयी। न्यूज़ में सुना की हमारी सेना ने पत्थरबाजों पर गोलिया चलाकर उनके नापाक इरादों पर पानी फेर दिया। ये होना चाहिए। लोगों में सेना के प्रति डर होना चाहिए। इसके साथ ही मैं अपना यह ब्लॉग समाप्त करता हूँ। धन्यवाद।

 

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