Sunday, February 18, 2018

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सहनशीलता या कायरता

हम भारतीय इतने सहनशील हो गए हैं कि कोई भी हमारे देश के विरूद्ध  कुछ भी बोल जाता है और हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बोलकर चुप रह जाते हैं।  ये एक कायर समाज की पहचान है और कहीं ना कहीं हमारा समाज भी इसी तरह का होता जा  रहा है।  सहनशीलता की भी एक तय सीमा होनी चाहिए।  अगर कोई हमारे देश के सैनिकों  को  धर्म के आधार पर बांटे या कोई पाकिस्तान परस्त  नेता खुलेआम पाकिस्तान के समर्थन में मीडिया को और आम लोगों को भड़काए  और हमारी सरकार और हम उसका विरोध भी खुलकर ना कर सकें तो समझ लो की हम एक कायर समाज के बीज बो रहे हैं। मुँझे  यह समझ में नहीं आता है कि हमारी सरकार और जो लोग सत्ता में बैठे हैं, वो ऐसे लोगों को,

Sunday, February 04, 2018

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जीवन एक पहेली

 मैंने यह पढ़ा था कि जीवन एक मायाजाल है, "ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या" इत्यादि-इत्यादि। कभी बिश्वास नहीं होता था! लेकिन यह सच है।
इसे इस तरह से समझते हैं की विज्ञान के हिसाब से अँधेरा कभी होता ही नहीं है लेकिन हमारी आखें रात के अँधेरे में देख नहीं सकती, ध्वनि भी हम एक निश्चित हर्ट्ज़ पर ही सुन सकते हैं, २० हर्ट्ज़ से लेकर २०००० हर्ट्ज़ तक।
इस संसार में कभी रात होते ही नहीं हैं। जब हमारे देश में रात हो रही होती है तो अमेरिका में सुबह हो रहे होते हैं।  इसी प्रकार के अनेक उदाहरण हैं जो यह सिद्ध करते हैं की हमारे सनातन धार्मिक ग्रन्थ में लिखे गए बातें केवल कोरी कल्पना नहीं है।