Monday, March 25, 2019

अकेलापन

कहते हैं अकेलापन इंसान के लिए सबसे कठिन होता है।  मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे समाज में रहना पसंद है।  लेकिन मैं अपने अकेलापन को अपना सबसे अच्छा साथी समझता हूँ।  जब मैं अकेला होता हूँ तो अपने आप को और बेहतर समझ पाता हूँ।  मैं वो कर पाता हूँ, जो मैं सदा से करना चाहता हूँ।  मैं दौड़ना चाहता हूँ, दूर बहुत दूर जहाँ मैं हूँ बस दूर-दूर तक मैं हूँ।  इस ब्रह्माण्ड के अंत तक दौड़ना चाहता हूँ।  कवी की कल्पना नहीं, कल्पना की उड़ान नहीं, सच्चाई की चमक हो जहाँ।  वहां तक दौड़ना  चाहता हूँ।  कौन हूँ मैं ? यह समझना चाहता हूँ।  अकेलापन मेरे लिए एक वरदान लेकर आता है।  जब मैं कुछ नया ढूंढता हूँ अपने अंदर।  मेरा जीवन केवल पेट भरने के लिए नहीं है, मेरे जीवन का एक उद्देश्य है जो की अकेला रहकर ही पूरा हो सकता है। समझना कठिन है और समझाना उससे भी कठिन।  समझाएं भी किसे, कोई भी तो नहीं है जो समझना चाहता है।  सब ब्यस्त हैं, अपनी दुनिया में। मकरी अपने जाल स्वयं ही बुनती है और उसी में फंसी रहती है।   यह प्रकृति अपना चक्र यूँ ही चलाती रहेगी, कोई नहीं जानता है कब तक, कहाँ तक। कर्म के हिसाब से प्रकृति अपना नियम हर किसी के लिए बना रखी है।   कर्म की अपनी व्यवस्था है, कर्म अपने कर्ता  को ढूंढ ही निकलता है।  प्रकृति का कोई धर्म नहीं, कोई जाती नहीं, कोई अंकुश नहीं। प्रकृति इन सबसे ऊपर है।   प्रकृति भी अकेली अपना काम करती है, कोई साथी, कोई दोस्त, कोई सहकर्मी की उसे आवश्यकता नहीं।  मैं  भी प्रकृति के चक्र का एक हिस्सा हूँ, जैसे अन्य जीव।  पर मैं प्रकृति को अनुभूत कर सकता हूँ। मैं प्रकृति को हर क्षण अनुभव करता हूँ।    अकेला होकर मेरा प्रयत्न यही होता है की मैं प्रकृति के चक्र से बाहर निकल सकूँ।  प्रकृति बहुत  सुन्दर है, जो भी इसे देखता है मन्त्रमुघ हो जाता है, यहीं रहना चाहता है, अपने मुलभुत उद्देश्य को भूल कर। मैंने कई बूढ़े लोगों को देखा है जो की बीमार रहते हैं पर फिर भी जीना चाहते हैं , अंग प्रत्यंग काम नहीं कर रहा होता है  फिर भी जिन्दा रहना चाहते हैं, यह शरीर छोड़ना नहीं चाहते हैं।  यह प्रकृति का सम्मोहन ही तो है।   करोड़ों  में से कोई एक मनुष्य ही अपने मुलभुत उद्देश्य को पूरा कर पाता  है। प्रकृति के चक्र को तोड़ पाता है।   बाँकी लोगों को तो यह पता भी नहीं हो पाता है।  कोई समझना भी तो नहीं चाहता है।  इस विषय को गूढ़ समझ कर लोग इससे दुरी बनाये रखते हैं।  अकेलापन किसी को अच्छा नहीं लगता है क्योंकि, जब हम अकेले होते हैं तो हमारा अंतर्मन हमें इस प्रकृति के चक्र से निकलने के लिए प्रेरित करता है, और हम इसलिए अकेला होना नहीं चाहते हैं।  यदि हमें कुछ नया करना है तो हमें अकेला होना होगा।